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इस बार होली में कितनी मस्ती करनी है, इसकी प्लानिंग आपने शुरू कर दी होगी. किसे, कितना और कौन सा रंग लगाना है, ये भी तय कर लिया होगा और होली पर बनने वाले पकवान...उनके बारे में तो सोचकर ही मुंह में पानी आ रहा होगा. वैसे क्या आप जानते हैं कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी होली खेलने का अपना महत्व है, लेकिन तभी जब आप उसी तरीके से रंगों का ये त्योहार मनाएं .
इस बार होली में कितनी मस्ती करनी है, इसकी प्लानिंग आपने शुरू कर दी होगी. किसे, कितना और कौन सा रंग लगाना है, ये भी तय कर लिया होगा और होली पर बनने वाले पकवान...उनके बारे में तो सोचकर ही मुंह में पानी आ रहा होगा. वैसे क्या आप जानते हैं कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी होली खेलने का अपना महत्व है, लेकिन तभी जब आप उसी तरीके से रंगों का ये त्योहार मनाएं.
"मानव शरीर भूमि, आकाश, वायु, जल और अग्नि से मिल कर बना है. शरीर में इन पांचों तत्वों की गड़बड़ी से बीमारियां होती हैं, तीन दोषों वात, पित्त और कफ में असंतुलन पैदा होता है. हमारे शरीर में गड़बड़ी या असंतुलन के कई कारकों में एक बदलता मौसम भी है. इसीलिए आयुर्वेद में हर मौसम के अनुसार रहन-सहन और आहार संबंधी नियम बताए गए हैं, जिसे ऋतुचर्या कहते हैं."
होली का त्योहार वसंत ऋतु के लिए रहन-सहन और आहार संबंधी नियमों का एक हिस्सा है. वसंत ऋतु गर्म दिनों की शुरुआत होती है, ठंड के बाद अचानक तापमान और आर्द्रता में हुई बढ़ोतरी के कारण शरीर में जमा कफ पिघलने लगता है और कफ से जुड़ी कई बीमारियां होने लगती हैं. मूल रूप से होली का त्योहार इसी कफ से निजात दिलाने और तीनों दोषों को उनके प्राकृतिक अवस्था में लाने के लिए मनाया जाता है.